श्रीराम के जीवन से हम क्या सीख सकते
श्रीराम के जीवन से हम क्या सीख सकते हैं :-
(IV) What can we learn from Shriram's life :-
1. अपने आँसू खुद पोंछो, दूसरे पोछेंगे तो सौदा करेंगे। जैसे सुग्रीव ने पहले अपना खोया हुआ राज्य और पत्नी को प्राप्त किया, उसके पश्चात श्रीराम की सहायता की। उसी प्रकार विभीषण सम्मानित जीवन और राज्य का प्रलोभन पाने के बाद श्रीराम की सहायता हेतु तत्पर हुआ।
1. Wipe your tears yourself, if others wipe your tears, you have to go through negotiations. As Sugriva first regained his lost kingdom and wife, thereafter assisted Shri Ram. In the same way, Vibhishan, was ready to help Shri Ram only after getting the honor of life and the temptation of the state.
2. अपनी मुश्किलों का सामना करने की क्षमता स्वयं में पैदा करो। परिवार और रिश्तेदार की सहायता मत लो नहीं तो ये लोग पूरा जीवन उपहास करेंगें। जैसे राम ने अयोध्या और जनक से अपनी मुश्किल दूर करने के लिए कोई सहायता नही ली।
2. Cultivate your ability to face your difficulties. Do not take help of family and relatives, otherwise these people will ridicule you their whole life. As Shri Ram did not seek any help from Ayodhya and Janak to overcome his difficulties.
3. अधर्म और अनीति की बुनियाद पर साम्राज्य स्थापित मत क़रो क्योंकि इनकी दीवारें कमजोर होती है। इसलिए सत्य तथा धर्म के मार्ग पर चलकर शारीरिक, मानसिक, आर्थिक, सामाजिक और आध्यात्मिक रूप से सामर्थ्यवान बनो, क्योंकि शक्तिशाली व्यक्ति से ही लोग प्रेम करते हैं।
3. Do not put the empire on the foundation of unrighteousness and evil because their walls are weak. Therefore, walk on the path of truth and Dharma, become physically, mentally, economically, socially and spiritually empowered, because people love a powerful person.
4. आदर्श प्रस्थापित करने के लिए सर्वस्व त्याग के लिए तत्पर रहो और समाज में प्रत्येक वर्ग तथा व्यक्ति की अहमियत को समझो, किसी की उपेक्षा मत करो, अपितु उनका उपयोग करो। जैसे श्री राम ने सभी वर्गों से सहयोग प्राप्त किया।
4. To establish the ideal, be ready to sacrifice everything and understand the importance of every class and person in the society, do not ignore anyone, but use them effectively. Like Shri Ram got support from all classes.
5. राष्ट्र प्रेम, पिता- पुत्र का आदर्श, भाई- भाई के प्रति समर्पण का भाव, पति -पत्नी का प्रेम और शासक तथा प्रजा का धर्म, सत्य और निष्ठा के साथ बलिदान के लिए तत्पर रहना इत्यादि आदर्शों को अपने जीवन में धारण करना ही श्रीराम की अनुपम भक्ति है।
5. Love for the nation, father-son ideal, devotion among brothers, husband-wife love, ruler-ruled equation and ready to sacrifice with truth and loyalty etc. are the ideals to imbibe as a true devotion to Shri Ram.Dharmbandhu
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