- बिना किसी मूर्ति या प्रतीक के ध्यान संभव नहीं है।

 शंका समाधान

शंका - बिना किसी मूर्ति या प्रतीक के ध्यान संभव नहीं है।


उत्तर - जब ईश्वर का कोई आकार ही नही है तो उसकी मूर्ति भी सम्भव नही है। वेदांत दर्शन के अनुसार - 

न प्रतीके न हि स:

- वेदान्त ४.१.४

अर्थात् प्रतीक में, मूर्ति आदि में परमात्मा की उपासना नहीं हो सकती, क्योंकि प्रतीक परमात्मा नहीं है। फिर मूर्ति में ईश्वर का कोई भी गुण-कर्म-स्वभाव दृष्टिगोचर नहीं होता कि उसको प्रतीक बनाया जाए।

फिर भी मूर्ति को ईश्वर का प्रतीक मानकर मूर्तिदर्शन करोगे, तो मूर्ति ही दिखाई देगी, उसमें छिपा परमात्मा नहीं क्योंकि शास्त्रों के अनुसार ईश्वर चर्म-चक्षुओं से दिखाई नहीं देता। जब ईश्वर तुम्हारे अत्यंत तुम्हारे भीतर ही है तो कहीं और जाने की जरूरत ही क्या है। उसे तो नेत्र को बन्द करके ध्यान-दृष्टि द्वारा अपने भीतर भी  महसूस किया जा सकता है। इस प्रकार बिना प्रतीक की सहायता के सीधा ईश्वर का ध्यान लगाया जा सकता है।

 

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