ओ३म् सादर नमस्ते जी

 🕉️🙏ओ३म् सादर नमस्ते जी 🙏🕉️

🌷🍃 आपका दिन शुभ हो 🍃🌷


दिनांक  - -    १९  अगस्त २०२२ ईस्वी 

 

दिन  - -  शुक्रवार 


  🌗 तिथि - - -  अष्टमी ( २२:५९ तक तत्पश्चात नवमी )



🪐 नक्षत्र -  -  कृत्तिका ( २५:५३ + तक तत्पश्चात रोहिणी )


पक्ष  - - कृष्ण


 मास  - -   भाद्रपद 


ऋतु  - -  वर्षा 

,  

सूर्य  - -  दक्षिणायन


🌞 सूर्योदय  - - दिल्ली में प्रातः ५:५२ पर


🌞 सूर्यास्त  - -  १८:५७ पर 


🌗 चन्द्रोदय  - -  २३:४०  पर 


🌗चन्द्रास्त  - -  १२:५८


सृष्टि संवत्  - - १,९६,०८,५३,१२३


कलयुगाब्द  - - ५१२३


विक्रम संवत्  - - २०७९


शक संवत्  - - १९४४


दयानंदाब्द  - - १९८


🍁🍀🍁🍀🍁🍀🍁🍀🍁🍀


🚩‼️ओ३म्‼️🚩


   🔥आपको व आपके समस्त परिवार को योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं 

➖➖➖➖➖➖➖➖


   🔥 भगवान श्री कृष्ण योगियों में भी श्रेष्ठ योगी, अद्भुत राजनीतिक, कूटनीति में निपुण,बृह्मचारी' एक पत्नीव्रती【महाभारत देखें】वेदों के ज्ञाता, मल्लयुद्ध में निपुण, अद्भुतबलशाली पराक्रमी योद्धा थे! 


  महर्षि दयानन्द सत्यार्थ प्रकाश में लिखते हैं, हे मनुष्यों तुम्हे योगेश्वर कृष्ण का उत्तम चरित्र देखना हो तो महाभारत में देखो, उनका जीवन चरित आप्त पुरुषों सदृश्य है, वे निष्कलंक जीवन जीने वाले महान योगी हैं, वे ऐसे धर्मात्मा महापुरुष हैं, जो इश्वर से कहते हैं यदा यदा हि धर्मस्य........ हे ईश्वर जब जब धर्म की हानि हो और अधर्म अन्याय अत्याचार बढे तब में इस पावन धरा पर अनाचारियों के विनाश के लिए तेरी सहायता से सदैव उपस्थित होना चाहूँगा और उनका विनाशकर पुनः धर्म स्थापना करना चाहूँगा....सत्य भी है ।


   उत्तम पुरुष ऐसे ही लक्षणों से सुशोभित हुआ करते हैं, वे इस पावन धरा को सदैव ही अधर्म , अनाचार से मुक्ति की इच्छा करते हैं! मोहग्रस्त पार्थ को अमोही गीता ज्ञान देने वाले, क्षत्रिय को क्षात्र धर्म का यथार्थ पालन करने की प्रेरणा देनेवाले, अधर्मी चाहे अपना सगा हो उसको भी नही छोड़ना चाहिए ऐसा महान उपदेश करने वाले योगिराज को शत शत् नमन वन्दन!!


 महाभारत मे श्रीकृष्ण का शुद्ध स्वरूप। 


     १ - श्री कृष्ण का जीवन चरित्र महाभारत से सभी जानते है, दूसरे ग्रथों से नहीं। श्री कृष्ण वेदों के प्रकाण्ड विद्वान आप्त पुरुष थे।


   २ - महाभारत में राधा का कही भी नाम नहीं है।


  ३ - "श्री कृष्ण" रासलीला वाले भोगीराज नहीं, बल्कि योगिराज थे। इन्द्रियों को अपने वश में किया हुआ श्री कृष्ण जैसा व्यक्ति ऐसे गोपियों के संग निकृष्ट काम नहीं कर सकता। ( वेदादि शास्त्रों से अनभिज्ञ एक मंद बुद्धि पौराणिक ही ऐसी लीला कृष्ण से करा सकता है


   ४ -  श्री कृष्ण की केवल एक ही पत्नी थी - जिसका नाम रुक्मणि था। उनका एक ही पुत्र था जिसका नाम प्रद्युम्न था जो रूप, रंग, ज्ञान में बिलकुल अपने पिता के समान था।


   ५ - द्रौपदी का केवल एक ही पति था - युधिस्ठिर। उनका नाम पांचाली इसलिए था क्योकि वो पांचाल नरेश की पुत्री थी, न की पाँच भाइयों की पत्नी। इसके अन्य प्रमाण भी महाभारत में हैं।


🍁🍀🍁🍀🍁🍀🍁🍀🍁🍀

Popular posts from this blog

ब्रह्मचर्य और दिनचर्या

वैदिक धर्म की विशेषताएं 

वर-वधू को आशीर्वाद (गीत)