आज का वेद मंत्र

 🕉️🙏ओ३म् सादर नमस्ते जी 🙏🕉️

🌷🍃 आपका दिन शुभ हो 🍃🌷


दिनांक  - -    २२ अक्तूबर २०२२ ईस्वी 

 

दिन  - -   शनिवार 


  🌘 तिथि - - -  द्वादशी ( १८:०२ तक तत्पश्चात त्रयोदशी )


🪐 नक्षत्र  - - -  पूर्वाफाल्गुन ( १३:५० तक तत्पश्चात उत्तराफाल्गुन )


पक्ष  - -  कृष्ण 


 मास  - -   कार्तिक 


ऋतु  - -  शरद 

,  

सूर्य  - -  दक्षिणायन


🌞 सूर्योदय  - - दिल्ली में प्रातः  ६:२६ पर


🌞 सूर्यास्त  - -  १७:४५ पर 


🌘 चन्द्रोदय  - -  २८:०७ +  पर 


🌘चन्द्रास्त  - -  १६:१०  पर 


सृष्टि संवत्  - - १,९६,०८,५३,१२३


कलयुगाब्द  - - ५१२३


विक्रम संवत्  - - २०७९


शक संवत्  - - १९४४


दयानंदाब्द  - - १९८


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🚩‼️ओ३म्‼️🚩


🔥गृहस्थ आश्रम में ब्रह्म प्राप्ति!!! 

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   गृहस्थ आश्रम तो लोक -परलोक दोनों को सुधारने का एक बहुत बड़ा साधन है 

गृहस्थ को ब्रह्म -प्राप्ति में बाधक नहीं साधक समझा जाता था 


  प्रभु की प्रार्थना -उपासना गृहस्थ आश्रम में माधुर्य और सुख की वृध्दि करेगी महर्षि दयानंद ने तो उपासना और प्रार्थना के बड़े लाभ लिखे हैं सत्यार्थ प्रकाश में महाराज जी लिखते हैं कि -जो परमेश्वर की स्तुति ,प्रार्थना और उपासना नहीं करता, वह कृतघ्न और महामूर्ख भी होता है ;क्योंकि जिस परमात्मा ने इस जगत के सब पदार्थ जीवों को सुख के लिए दे रक्खे हैं, उसका गुण भूल जाना, ईश्वर ही को न मानना, कृतघ्नता और मूर्खता है "

कुछ लोगों ने एक गलत धारणा बना रक्खी है कि गृहस्थ में प्रभु भक्ति नहीं हो सकती, न योग इत्यादि हो सकता है |यह बात सर्वथा निराधार है ।


   जितने बड़े -बड़े योगी, प्रभु -भक्त हो चुके हैं उनमें अधिकतर गृहस्थी थे, जैसे शिव जी, भगवान कृष्ण, राजा अश्वपति, योगी याज्ञ वल्क्य माता मन्दालसा इत्यादि।


  सत्य तो यह है कि अध्यात्मवाद को परखने और आत्मविज्ञान को प्राप्त करने का जितना सुअवसर गृहस्थ में है, और कहीं नहीं । यहाँ पगे -पगे परीक्षा भी होती रहती है कि किस -किस विषय पर संयम प्राप्त हो चुका है।


  यम -नियम की पूरी साधना गृहस्थ में है गृहस्थी का यह परम कर्तव्य है कि अपने परिवार को प्रभु -भक्ति के लाभ बताये और सभी करें।


   जिस परिवार ने प्रभु के आगे आत्म समर्पण कर दिया, उसके योग क्षेम के जिम्मेदार प्रभु बन जाते हैं और सन्मार्ग की और ले जाते हैं ।


   प्रभु भक्ति से व्यवहार में मधुरता भी आती है और व्यवहार मधुर होने से गृहस्थ भी सुखी गृहस्थ बन जायेगा और जीवन का लक्ष्य ब्रह्म प्राप्ति भी प्राप्त हो जायेगी ।


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🕉️🚩 आज का वेद मंत्र 🕉️🚩


      ओ३म चंब्राह्मंजनयन्तोदेवाअग्रेतदब्रुवन्। यस्त्वैवंब्राह्मणोविद्यात्तस्यदेवाअसन्वशे॥ (यजुर्वेद ३१\२१ )


 💐 अर्थ  :-  (रुचंब्राह्मं॰) जो ब्रह्म का ज्ञान है, वही अत्यन्त आनन्द करनेवाला और उस मनुष्य की उस में रुचि का बढ़ाने वाला है जिस ज्ञान को विद्वान् लोग अन्य मनुष्यों के आगे उपदेश करके उन को आनन्दित कर देते हैं। (यस्त्वैवंब्राह्मणो॰) जो मनुष्य इस प्रकार से ब्रह्म को जानता है, उसी विद्वान् के सब मन आदि इन्द्रिय वश में हो जाते हैं, अन्य के नहीं॥


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🔥विश्व के एकमात्र वैदिक  पञ्चाङ्ग के अनुसार👇

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 🙏 🕉🚩आज का संकल्प पाठ🕉🚩🙏


(सृष्ट्यादिसंवत्-संवत्सर-अयन-ऋतु-मास-तिथि -नक्षत्र-लग्न-मुहूर्त)       🔮🚨💧🚨 🔮


ओ३म् तत्सत् श्रीब्रह्मणो द्वितीये परार्द्धे श्रीश्वेतवाराहकल्पे वैवस्वतमन्वन्तरे अष्टाविंशतितमे कलियुगे कलिप्रथमचरणे 【एकवृन्द-षण्णवतिकोटि-अष्टलक्ष-त्रिपञ्चाशत्सहस्र- त्रिविंशत्युत्तरशततमे ( १,९६,०८,५३,१२३ ) सृष्ट्यब्दे】【 नवसप्तत्युत्तर-द्विसहस्रतमे ( २०७९ ) वैक्रमाब्दे 】 【 अष्टनवत्यधिकशततमे ( १९८ ) दयानन्दाब्दे, नल-संवत्सरे,  रवि- दक्षिणयाने शरद -ऋतौ, कार्तिक -मासे , कृष्ण - पक्षे, - द्वादशम्यां

  तिथौ,  - पूर्वाफाल्गुन नक्षत्रे, शनिवासरे , तदनुसार  २२ अक्टूबर  , २०२२ ईस्वी , शिव -मुहूर्ते, भूर्लोके जम्बूद्वीपे भारतवर्षे भरतखण्डे 

आर्यावर्तान्तर्गते.....प्रदेशे.... जनपदे...नगरे... गोत्रोत्पन्न....श्रीमान .( पितामह)... (पिता)...पुत्रोऽहम् ( स्वयं का नाम)...अद्य प्रातः कालीन वेलायाम् सुख शांति समृद्धि हितार्थ,  आत्मकल्याणार्थ,  रोग, शोक, निवारणार्थ च यज्ञ कर्मकरणाय भवन्तम् वृणे


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